यादें होली की

–डा. श्रुचि सिंह होली का पर्व लाया कुछ यादों का पिटारा, स्कूल से लौटते किसी ने था रंग डाला। मच गया था खूब रोना- धोना, कुछ न किया फिर भी मुझको क्यों रंग दिया। बालमन को रंगों के त्योहार का कुछ भी न था पता, बस लगा कि हो गया कुछ बुरा। कुछ बड़े हुये…
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