ग्रामीण-समाज की व्यवस्था में रिश्तों की गहराई की झलक

डा. अपर्णा धीर खण्डेलवाल शहरवासियों की दृष्टि में गाँव एवम् ग्रामीणवासी सदैव ही सादा जीवन, सरल बोली, साधारण वेशभूषा, तथा सात्त्विक भोजन की छाप छोडे़ हुए है। मन में ऎसी ही छवि बिठाऐ हुए संयोगवश आज से लगभग चार वर्ष पहले मुझे भी एक गाँव में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं चर्चा कर रही…
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