मैंने गाँव देखा है…
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श्रीमति प्रीति कौशिक
मैंने गाँव देखा है..
जहाँ शहरों में हम ज़रूरत में खुद को अकेला पाते हैं,
वहाँ गाँव में मैंने बड़ों से अपने, सर पे हाथ फेरते देखा है।
मैंने गाँव देखा है..
जहाँ शहरों में ज़िन्दगी भागती जाती है,
वहाँ गाँव में मैंने बुढ़ापा भागते देखा है।
मैंने गाँव देखा है..
जहाँ शहरों में हर नज़र से डर लगता है,
वहाँ मैंने गाँव में हर रिश्ते को अपनाते देखा है।
मैंने गाँव देखा है..
जहाँ शहरों में सड़कों पे गाड़ियों की धूल उड़ती है,
वहाँ मैंने गाँव के खेतों में फसलों को उगते देखा है
मैंने गाँव देखा है..
जहाँ शहरों में लोगों को ऐ.सी. में भी नींद नहीं आती,
वहाँ मैंने गाँव में मंझी पे लोगों को पेड़ों के नीचे सोते देखा है।
मैंने गाँव देखा है..
जहाँ शहरों में लोग सड़कों पे मरते रहते हैं या लोग वीडियो बनाते हैं,
वहाँ मैंने गाँव में लोगों को हल्की-सी सर्दी में भी हाल-चाल पूछते देखा है।
हाँ मैंने गाँव देखा है..
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Mrs. Preeti Kaushik, Office and Market Coordinator, HaatNow